प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी देशवासियों से 13 से 15 तक आयोजित होने वाले 'हर घर तिरंगा' अभियान में योगदान देने की अपील की है। आमतौर पर देखा गया है कि जानकारी की कमी के कारण अनजाने में लोग तिरंगे के साथ अवहेलना करते हैं। यही कारण है कि 15 अगस्त के बाद तिरंगा या तो हमें सड़कों पर पड़ा नजर आता है या फिर घर के किसी कोने में धूल-मिट्टी की परत से ढका हुआ।
असल में यह तिरंगे का अपमान है, जोकि एक दंडनीय अपराध माना जाता है। इसके लिए तीन साल की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लग सकता है। इसलिए तिरंगा खरीदने से पहले आपको इसके सही डिस्पोजल के तरीकों को समझने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय ध्वज का अपमान दंडनीय अपराध
इस राष्ट्रीय पर्व पर केवल तिरंगा झंडा लगाना ही हमारा कर्तव्य नहीं है, बल्कि इसका सम्मान करना भी हमारा संवैधानिक दायित्व है। भारतीय ध्वज संहिता 2002 के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज के डैमेज हो जाने पर या डिस्पोजल के लिए दो तरीके बताए गए हैं। पहले तरीके में झंडे को गोपनीय रूप से दफनाने का सुझाव दिया जाता है और दूसरे तरीके में उसे सम्मानपूर्ण तरीके से जलाना। ध्यान रहे! इन दोनों में से किसी भी प्रक्रिया को चुनते समय संबंधित नियमों का पालन करना भी जरूरी होता है। आइए समझते हैं कि दोनों तरीको में तिरंगे को सम्मानपूर्वक कैसे डिस्पोज किया जाता है।
दफनाने का तरीका
- सभी डैमेज होने वाले झंडों के टुकड़ों को एक लकड़ी के बॉक्स में रखें।
- ख्याल रखें झंडे को अच्छे से फोल्ड करके (तह बनाकर) ही बॉक्स में रखें।
- इसके बाद, उस बॉक्स को जमीन में दफना दें।
- इस प्रक्रिया के बाद, कुछ समय के लिए मौन रहें।
जलाने का तरीका
- एक सुरक्षित और साफ स्थान चुनें जहां आप झंडे को जला सकते हैं।
- झंडे की अच्छे से तह कर लें और उसे जलती हुई आग के ठीक बीच में रख दें।
- इस क्रिया के दौरान, सावधानी और सम्मान बरतें।
- तिरंगे को जलाने के लिए कभी भी उसे कोने पर से नहीं जलाना चाहिए।
इन बातों का भी रखें ध्यान
- राष्ट्रीय ध्वज को साज-सजावट के उद्देश्यों से इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
- तिरंगे का उपयोग किसी भी चीज को ढकने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
- नैपकिन, अंडरगारमेंट्स, रूमाल आदि पर तिरंगे की प्रिंट या कढ़ाई नहीं करवानी चाहिए।